दो पैर, इक दिल, दो आँखें दीं हैं सबको हाँ ! लेकिन दो हाथों से बन जाते महान। दो पैर, इक दिल, दो आँखें दीं हैं सबको हाँ ! लेकिन दो हाथों से बन जाते महान।
आओ उनको भी छांटे आओ उनकी जाति बाँटे ! आओ उनको भी छांटे आओ उनकी जाति बाँटे !
बस इतना ही तो चाहता हूं, क्यों तुम मुझे वह देना नहीं चाहते हो? बस इतना ही तो चाहता हूं, क्यों तुम मुझे वह देना नहीं चाहते हो?
जब इन्सानने, दिल के अंदर ही नहीं, हमें बिठाया....!! जब इन्सानने, दिल के अंदर ही नहीं, हमें बिठाया....!!
कितने घर उजड़ जाते दंगों के नाम पर कितने रिश्ते जल जाते हैं, खत्म करना है यह भेदभाव तो कितने घर उजड़ जाते दंगों के नाम पर कितने रिश्ते जल जाते हैं, खत्म करना है यह ...
जाने कब इंसान इंसानियत को समझेगा, कितना और लंबा होगा यह इंतजार देखो। जाने कब इंसान इंसानियत को समझेगा, कितना और लंबा होगा यह इंतजार देखो।